Kanhiya Le Chal Parli Par

कन्हैया, ले चल परली पार
साँवरिया, ले चल परली पार
जहाँ विराजे राधारानी, अलबेली सरकार
(कन्हैया, ले चल परली पार)
(कन्हैया, ले चल परली पार)

गुण-अवगुण सब तेरे अर्पण
पाप-पुण्य सब तेरे अर्पण
बुद्धि सहित मन तेरे अर्पण
यह जीवन भी तेरे अर्पण

मैं तेरे चरणों की दासी, मेरे प्राण आधार
(कन्हैया, ले चल परली पार)
(कन्हैया, ले चल परली पार)

तेरी आस लगा बैठी हूँ
लज्जा-शील गँवा बैठी हूँ
मैं अपना-आप लूटा बैठी हूँ
आँखें ख़ूब थका बैठी हूँ

साँवरिया, मैं तेरी रागिनी, तू मेरा मल्हार
(कन्हैया, ले चल परली पार)
(कन्हैया, ले चल परली पार)

जग की कुछ परवाह नहीं है
सूझती अब कोई राह नहीं है
तेरे बिना कोई चाह नहीं है
और बची कोई राह नहीं है

मेरे प्रीतम, मेरे माँझी, कर दो बेड़ा पार
(कन्हैया, ले चल परली पार)
(कन्हैया, ले चल परली पार)



Credits
Writer(s): Gulshan Sharma, Traditional
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