Lagi Shyam Sang Preet

मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)

क्या जाने, कोई क्या जाने
(क्या जाने, कोई क्या जाने)

मोहे मिल गयो, मोहे मिल गयो...
मोहे मिल गयो मन को प्रीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)

हो, छवि लखि मैंने श्याम की जब से
(छवि लखि मैंने श्याम की जब से)
भई बावरी मैं तो तब से (भई बावरी मैं तो तब से)
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से
नाता तोड़ा मैंने जग से (नाता तोड़ा मैंने जग से)

ये कैसी, ये कैसी...
ये कैसी निगोड़ी प्रीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)

मोहन की सुंदर सूरतिया (मोहन की सुंदर सूरतिया)
मन में बस गई मोहनी मूरतिया (मन में बस गई मोहनी मूरतिया)
जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया
लोग कहें मैं भई बावरिया (लोग कहें मैं भई बावरिया)

मैंने छोड़ी, ओ, मैंने छोड़ी...
मैंने छोड़ी जग की रीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)

हर-दम अब तो रहूँ मस्तानी (हर-दम अब तो रहूँ मस्तानी)
लोक-लाज दीन्हीं बिसरानी (लोक-लाज दीन्हीं बिसरानी)
रूप-राशि अंग-अंग समानी
हेरत-हेरत रहूँ दीवानी (हेरत-हेरत रहूँ दीवानी)

मैं तो गाऊँ, हो, मैं तो गाऊँ...
मैं तो गाऊँ खुशी के गीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)

मोहन ने ऐसी बंसी बजाई (मोहन ने ऐसी बंसी बजाई)
गोप-गोपियाँ दौड़ी आईं (गोप-गोपियाँ दौड़ी आईं)
सबने अपनी सुध बिसराई
लोक-लाज कुछ काम ना आई (लोक-लाज कुछ काम ना आई)

फ़िर बजने, ओ, फ़िर बजने
फ़िर बाज उठा संगीत, ये दुनिया क्या जाने
(मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने)



Credits
Writer(s): Traditional, Devender Dev Bijender Chauhan
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