Kisaan

धूप हो, छाँव हो, रात हो, बरसात हो
तू चले, धरती चले, अन्न की बरसात हो
हो, धूप हो, छाँव हो, रात हो, बरसात हो
तू चले, धरती चले, अन्न की बरसात हो

तू ना हारा था, ना हारेगा
तेरे होने से है जहाँ सारा
तू ना हारा था, ना हारेगा
तेरे होने से है जहाँ सारा

तेरे स्वाभिमान पे देश का है मान
तेरे श्रमदान से धरती का सम्मान

तू ना थमना, ना रुकना, बस चलते जाना
तेरे साथ ही रहेगा ये देश सदा

देश का मान समृद्ध किसान
देश का मान समृद्ध किसान
देश का मान

देश का, देश का, देश का मान
देश का, देश का, देश का मान



Credits
Writer(s): Rishikesh Pandey
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