Aigiri Nandini

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

ଜଗତ ଜନନୀ ମଙ୍ଗଳମୟୀ ମା'
ପଣତେ ଜଗତ ଘୋଡେଇ ରଖିଥା
ଆଜିବି ମହିରେ ବଞ୍ଚିଚି ମହିଷା
ପୁଣି ସେ ଭୈରବୀ ରୂପରେ ଆସ ମା'

ଅକ୍ଷୟ ହେଉ ହେ, ପୁଣ୍ୟ ଏ ଜଗତେ
ଧର୍ମର ବିଜୟ ହେଉ ମା' ମରତେ

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

धुम-त, धुम-त, धुम
धुम-त, धुम-त, धुम
धुम-त, धुम-त, धुम
धुम-त, धुम-त, धुम

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

ଶକ୍ତିଦାୟିନୀ ମା', ତୁମେ ସାଧୁର ସମ୍ବଳ
ତୁମେ ଥାଉ-ଥାଉ, ଧରା ହେବ କି ନିଶ୍ଚଳ?
ତ୍ରିଲୋକ ମୋହିନୀ, ତୁମେ ଶାନ୍ତିର ସମ୍ଭାର
ତୁମକୁ ଲାଗିଲା ଏଇ ଅଳିକ ସଂସାର

ସର୍ବେହି ଭବନ୍ତୁ ସୁଖୀନ ଭକତେ
କୁପଥ ଏଡେଇ ନିଅ ମା' ସୁପଥେ

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दुर्मदशोषिणि भवभयमोचिनि सिन्धुसुते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि हर्षरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते



Credits
Writer(s): Sumit Dikshit
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