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क्या हो गया माहिया?
तुमको देख के मेरे साँस रुक जाना, माशा अल्लाह, माशा अल्लाह
क्या है मेरी गलतियाँ?
ताकि मैं खुद को बदल सकूँ, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह

क्योंकि वो सब वादे तुमने मुझे दिए
मैंने जा के सब तोड़ दिया
लेकिन याद रखो ना
ले लिया, तुमने दिल ले लिया
दिल ले लिया

बैठा मैं कमरे में
मेरे मुह से तो बोल ना थम रहे थे
पहले खबरें सुनी थी तेरे बारे में
अब तेरे सब्र में दब रहे थे
माना गलतियाँ की हजार
पर तेरे भूत का भूत सवार
मैं तुझे दूँ सबूत की ना वजूद
ये खून तो धूप में खौल नहीं
खुद से नाराज़ मैं
ऊपर देखा, दिखा मौला नहीं
हीरा मिला मुझे तोला नहीं
सामने ताला, हाथ में चाबी
फ़िर भी पिटारा क्यूँ जान के खोला नहीं
गलती है मेरी की माँगी नहीं माफ़ी
पर तू भी तो जानती वो ना है काफ़ी
तो रोया मैं गिड़गिड़ाया, बना साया
पर अंदर शैतान भी बोला, ना शर्म है ज़रा भी

ना शर्म है ज़रा भी (ना शर्म है ज़रा भी)
ना शर्म है ज़रा भी

वो बोले शराबी
हम हाथ में दारू लेके पूछे, "क्या है खराबी?"
नवाबी ये शौक, दगा दिए बहुत
सज़ा दिए लोग, अब माँगू मैं क्या ही?
ले लिया दिल, ले ली ये जान
ले ले ली ईमान और ले ली पहचान
ले लिया दिल, ले ली ये जान
ले ले ली ईमान
पर आँखिर इंसान मैं
पर आँखिर इंसान मैं

ले लिया, तुमने दिल ले लिया
दिल ले लिया

ले लिया, तुमने दिल ले लिया
दिल ले लिया



Credits
Writer(s): Faizal Sadiqhusen Jamadar, Yashraj Mehra
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