Rooh

আমাৰে মইনা শুব
বাৰীতে বগৰী ৰুব
বাৰীৰে বগৰী পকি সৰিলে
আমাৰ মইনাই
বুটলি খাব
বুটলি খাব

नाज़ुक कली सी
वह झुक के चली थी
कहीं इस जहां से दूर
किसी ने ना देखा
किसी ने ना जाना
वहाँ से थी आई वो नूर
पहाड़ों में खेली और नदियों का पानी
से सिमटी थी उसकी वो रूह
सूरज की किरणें और बहती हुई झीलें
वो रहती थी शहरों से दूर

मुझे ले चल तू
कही दूर वादियों में
मैं खो गया हूँ
इस झूठे शहर में

मुझे ले चल तेरे ख्वाबों के घर में
जहाँ है तेरा सुकून
शहर मेरा झूठा
यहाँ सब है झूठे
यहाँ मैं रह ना सकूँ

আমাৰে মইনা শুব
বাৰীতে বগৰী ৰুব
বাৰীৰে বগৰী পকি সৰিলে
আমাৰ মইনাই
বুটলি খাব
বুটলি খাব
বুটলি খাব
বুটলি খাব



Credits
Writer(s): Rohit Bhele, Narcxs
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