Faaslo Pe

फ़ासलों पे यूँ खड़ी अब ज़िंदगी है

फ़ासलों पे यूँ खड़ी अब ज़िंदगी है
एक क़ज़ा सी सीने में और तिश्नगी है

तू नहीं तो, यूँ लगे है
तू नहीं तो, यूँ लगे है

साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा

साथ छोड़े है, ज़िंदगी धुँधली हुई हैं चाँदनी
डोरी टूटे हैं धड़कन की तेरे बिना यूँ
बिखरे हुए आईने सी, बुझते हुए ये दिए सी
ना है फलक, ना ज़मीन, ना है तेरा निशा

साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा

राहें तो है, पर ना सफ़र
चल ना सकु, ठहरु किधर?

बाद तेरे शहर दश्त लगने लगा है
गालियाँ ये अंजान सी है, खुशियाँ भी मेहमान सी है
तनहा, वीरान, बेजान लगने लगी हर सुबह

साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा



Credits
Writer(s): Rajusardar, Yash Eshwari
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