Khwahishein

करवटों में कटी ज़िंदगी
दिन भी बीते, कुछ साल भी
हसरतों से है कुछ वास्ता
दिल में है यही कसक जगी

ख़्वाहिशें कुछ पाने की है यहाँ
उम्मीदें भी हैं कुछ यहीं
ठिकानों के तलाश में दर-बदर
सपनों की महक भी है कुछ नहीं

सलवटों सी है ज़िंदगी
कहा मुझसे, "देख सपने तू सतरंगी"
ख़्वाबों को उड़ान दे तू पंख तो फैला कर
फिर काट दे तू डोर झटके में ही

ख़्वाहिशें कुछ पाने की है यहाँ
उम्मीदें भी हैं कुछ यहीं
ठिकानों के तलाश में दर-बदर
सपनों की महक भी है कुछ नहीं

अब आसमाँ होगा तेरा और ये ज़मीं
अब नाव भी होगी तेरी और लहरें भी
अब रास्ता होगा तेरा और ये नदी
अब वास्ता होगा तेरा और सपने भी

ख़्वाहिशें कुछ पाने की है यहाँ
उम्मीदें भी हैं कुछ यहीं



Credits
Writer(s): Sudeshna Sen
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