Mahakumbh Mahaparv


तत्पुरुषाय विद्महे
महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्र:
प्रचोदयात।

आरंभ हो रहा महापर्व का
मां गंगा के आंचल मैं
देवों की चौखट से होकर
साधु संत अखाड़ों में

आरंभ हो रहा महापर्व का
मां गंगा के आंचल मैं
देवों की चौखट से होकर
साधु संत अखाड़ों में

द्वादश वर्षों के कालचक्र में
महापर्व यह आया है
संपूर्ण विश्व के कण-कण में
खुशियों का अवसर लाया है

चलो करें स्नान भोले का ध्यान
इस नगरी में खो जाते हैं
इस महाकुंभ के महायज्ञ में
अपनी भेंट चढ़ाते हैं

कुंभ कुंभ यह महाकुंभ है महाकुंभ है
महापर्व ये महाकुंभ है महाकुंभ है

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
नम: शिवाय:
नम: शिवाय:

इस दुनिया के मेलों से
मोह माया के खेलो से
साधु संत के रेलो तक का
सफर है लाया कुंभ

महलों और अखाड़ों में
नदियों और पहाड़ों में
गूंज रहा जो नाद भयंकर
महापर्व वो कुंभ

कुंभ कुंभ यह महाकुंभ है महाकुंभ है
महापर्व ये महाकुंभ है महाकुंभ है

देवों की पावन भूमि पर महापर्व यह महाकुंभ है



Credits
Writer(s): Mohan Sharma, Sanjay Silswal, Vijay Kumar
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