Dhoondhe Koi

रातों में और दिन में कभी
सोचा है ये हमने अभी
क्यूँ हर घड़ी लगे उसकी कमी?
जो है नहीं कहीं फ़िर भी हर कहीं

क्या मिलेगा वो हमसफ़र?
जिसकी कमी खले हर डगर

है संग जिसके हसीं ज़िंदगी
वो है कहाँ उसे ढूँढे कोई

शायद मिला था वो कल ख़यालों में
था नशा, हाँ, जैसे गर्म चाय के प्यालों में
ख़्वाब था वो इतना हसीं
नींद से हम जागे नहीं

पर लगता है वो था मेरा भरम
लगे हर घड़ी फ़िर एक सितम

जिसे चाहा हमने दुआओं में भी
खुली पलक उसे पाया वहीं



Credits
Writer(s): Shrishti S Nagar
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link