Jai Jai Kedara - Acoustic

पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है
वीराने में तपता योगी कौन है
पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है
वीराने में तपता योगी कौन है
नाद न कोई तारा, डमरू कभी कभारा
अदमुंदी आँखों से, सब देख रहा संसारा
जो नाथों के नाथ कहाते
याचक बूटी बेल चढ़ाते
जातक झूम झूम के गाते ओमकाराअर्ध चंद्रमा माथे पे साजे
वक्षस्थल कपाल बिराजे
जटा चक्र से बहती निर्मल शिव धारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा

जल थल अगन समीर छांव और धूप है
जल थल अगन समीर छांव और धूप है
बियांबान सन्नाटा ही शिव रूप है
बियांबान सन्नाटा ही शिव रूप है
कभी सर्जन होया, कभी विध्वंशक देव है
श्याम सलोने रुद्र रूप महादेव हैं
अनहद के सुन गाजे बाजे
देव असुर इक पांव पे नाचे
भस्म रमाके बहुरूपी शिव ओंकारा
अनहद के सुन गाजे बाजे
देव असुर इक पांव पे नाचे
भस्म रमाके बहुरूपी शिव ओंकारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा



Credits
Writer(s): Public Domain
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