Hakeem Tarachand Zara

(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)

(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)
(रुपैये दे दूँ पंज, ज़रा कोठी पे आना)

क्या दर्द है और कहाँ दर्द है
क्या दर्द है और कहाँ दर्द है

मुश्किल है लोगों के आगे बताना
(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)

पहले नहीं मेरी हालत थी ऐसी
पहले नहीं मेरी, रे दैया
पहले नहीं मेरी हालत थी जैसी
बाग़ों में उड़ती थी बुलबुल के जैसी
बाग़ों में उड़ती थी बुलबुल के जैसी

घरवालों ने मुझरे पहरा लगाया
मेरी समझ में तो कुछ भी ना आया

पिंजरे में हुई बंद, ज़रा कोठी पे आना
(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)
(रुपैये दे दूँ पंज, ज़रा कोठी पे आना)

ख़ाबों-ख़यालों में आता है कोई
ख़ाबों-ख़यालों में...
ख़ाबों-ख़यालों में आता है कोई
रातों की नीदें चुराता है कोई
रातों की नीदें चुराता है कोई

मेरा भी दिल अब धड़कने लगा है
जाने क्या शोला भड़कने लगा है

कोई आ गया पसंद, ज़रा कोठी पे आना
(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)
(रुपैये दे दूँ पंज, ज़रा कोठी पे आना)

जीने ना देगी मुझे बे-क़रारी
जीने ना देगी, हाय, राम
जीने ना देगी मुझे बे-क़रारी
जाएगी कैसे भला ये बिमारी?
जाएगी कैसे भला ये बिमारी?

गोली दे तुम चाहे सूई लगाओ
कैसे भी ये दर्द मेरा मिटाओ

खिलाओ कलाकंद, ज़रा कोठी पे आना
(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)

क्या दर्द है और कहाँ दर्द है
क्या दर्द है और कहाँ दर्द है

मुश्किल है लोगों के आगे बताना
(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)

(हकीम ताराचंद, ज़रा कोठी पे आना)



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Anand Chitragupta Shrivastava, Milind Chitragupta Shrivastava
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