Alvida

इस क़दर क्यूँ कर दिया तूने अलविदा
जिस्म को जाँ से कर दिया है जुदा
बेख़बर, बेज़ुबाँ तू कैसे बन गई?
बेक़दर पल में क्यूँ बेवफ़ा हो गई?

ना ज़मीं थी मेरी, ना फ़लक था मेरा
छिन लिए तुमने मेरे दोनों जहाँ (दोनों जहाँ)

मुझे दिल में बसा के, मुझे अपना बना के
मुझे सपना दिखा के चल दिए
मेरी रूह में समा के, मुझे जीना सिखा के
मेरा दामन छुड़ा के चल दिए

चैन आए दिल को वो जगह है किधर?
रूह मेरी भटके हर गली दर-बदर
आदत में मेरी हो गया है शामिल
जतन करले कितना कुछ ना होगा हासिल
(कुछ ना होगा हासिल)

खो गई रोशनी, हर तरफ़ है धुआँ
यादों के बोझ से बंद है ये ज़ुबाँ (बंद है ये ज़ुबाँ)

मुझे दिल में बसा के, मुझे अपना बना के
मुझे सपना दिखा के चल दिए
मेरी रूह में समा के, मुझे जीना सिखा के
मेरा दामन छुड़ा के चल दिए

बेचैनियाँ भी करवटेटें ना लेती
दिल की गली में दस्तक ना होती
मोहब्बत पे कोई यक़ीं ना करेगा
दिल का निशाँ ये मिट ना सकेगा (मिट ना सकेगा)

गिरगिटों की तरह रंग बदले है तू
बेरुख़ी ये तेरी हो गई इंतहा (हो गई इंतहा)

मुझे दिल में बसा के, मुझे अपना बना के
मुझे सपना दिखा के चल दिए
मेरी रूह में समा के, मुझे जीना सिखा के
मेरा दामन छुड़ा के चल दिए



Credits
Writer(s): C.s. Chauhan, Gc Jena
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