Jagat Ke Rang Kya Dekhoon

जगत के रंग क्या देखूँ
तेरा दीदार काफी है
(जगत के रंग क्या देखूँ)
(तेरा दीदार काफी है)
क्यूॅं भटकूँ गै़रों के दर पे?
तेरा दरबार काफी है

जगत के रंग क्या देखूँ
तेरा दीदार काफी है
तेरा दीदार काफी है

(जगत के रंग क्या देखूॅं)
(तेरा दीदार काफी है)

नहीं चाहिए दुनिया के
निराले रंग-ढंग मुझको
नहीं चाहिए दुनिया के
निराले रंग-ढंग मुझको
निराले रंग-ढंग मुझको

चली जाऊँ मैं वृंदावन
तेरा श्रृंगार काफी है

(जगत के रंग क्या देखूॅं)
(तेरा दीदार काफी है)

(सा, नि, सा, सा, रे, गा, रे, रे, पा, मा, मा, गा, रे, सा)
(नि, पा, रे, रे, रे, गा, रे, सा, नि, सा)
(आ, आ, आ)

जगत के साज़-बाज़ों से
हुए हैं कान अब बहरें
जगत के साज़-बाज़ों से
हुए हैं कान अब बहरें
हुए हैं कान अब बहरें

कहाँ जाके सुनूँ बंसी?
मधुर वो तान काफी है

(जगत के रंग क्या देखूँ)
(तेरा दीदार काफी है)

जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
जगत के रिश्तेदारों ने
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का

तेरे भक्तों से हो प्रीति
के श्याम-परिवार काफी हैं

(जगत के रंग क्या देखूँ)
(तेरा दीदार काफी है)

जगत की झूठी रौनक से
हैं आँखें भर गईं मेरी
जगत की झूठी रौनक से
हैं आँखें भर गईं मेरी
हैं आँखें भर गईं मेरी

चले आओ, मेरे मोहन
दरस की प्यास काफी है

(जगत के रंग क्या देखूँ)
(तेरा दीदार काफी है)

जगत के रंग क्या देखूँ
तेरा दीदार काफी है
तेरा दीदार काफी है

(जगत के रंग क्या देखूँ)
(तेरा दीदार काफी है)



Credits
Writer(s): Manish Tripathi, Navin Tripathi
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