Akashvani

आकाशवाणी हुयी कि संकल्प आया धरती पर
स्वर्ग से आकर उसे लग रहा था डर
क्या फिर नहीं मिला स्वर्ग उसे अगर
धरती वह समंदर जिसमें करोड़ों मगर

परछाई दे रहा साथ या फिर कर रहा तांडव
कैद इस पिंजरे में Locked सपनों का Door
परिवार 5 लोगों का जैसे कि हम पांच पांडव
ईमानदारी मेरा Core इसीलिए कर रहा मैं Score
निर्दई मैं बन गया क्योंकि कोई नहीं साथ दे रहा
जब खाई पे लटका था तब कोई नहीं अपना साथ दे रहा
चढ़ने की कोशिश मगर हर कोई मुझे लात दे रहा
सबके हाथ में चाकू इंसान एक दूसरे को काट दे रहा
सबकी अपनी आत्मा इसलिए हर एक जान कीमती
गलत काम इतने होते उसकी ना कोई गिनती
पांच तत्व होने पर भी इंसान खाली बलटी सुनता नहीं आवाज दोहराता रहता गलती
रोज की भागम जोड़ी मैं मरते हैं काफी
कीड़े पैरों तले रौंद कर लोग बनते हैं सीधे
खुद में घूम 9 से 9 Monday से Friday
निर्दई बनके सोचो जैसे It's My Day
मैं ही था वह कीड़ा जिसके साथ खड़े भगवान
और बन गया में राक्षस मिल गया सम्मान सब उसी का कृपा तब तू बना धनवान
खुद की तारीफ करके इनको हो रहा अभिमान
जिंदगी तेरी ट्रेन मगर तू नही उसे चला रहा
तू तो यात्री है कोई और ही उसे चला
रहा पतरी सीधा तेढ़ा कहीं टूटा कहीं गायब
मगर मौत आखरी स्टेशन की तरफ पहुंचा रहा
अपने पास Conscience क्योंकि अपने अंदर आत्मा है
अंश ही क्यों ना हो वह भी परमात्मा है
अगर अच्छे थे कर्म या फिर बुरे थे कर्म
आकाशवाणी आत्मा की आवाज़ यही है वह मर्म
आकाशवाणी आसमा से नहीं भीतर से होता है
दिनभर पाप कर इंसान रात में रोता है
उम्मीदों का सितारा मगर दिखता काफी छोटा है
इन्हें जीना नहीं आता इंसान जाग के भी सोता है
भीतर की आवाज को कम करती बाहरी आवाज लोग सुनाते रहे मुझको
मगर मुझे खुद पर नाज अपनी आवाज को पहचान कर मैं सब समझ गया
Mindset मेरा Set इसलिए नहीं है शर्म लाज



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