Chaandni Raat

चाँदनी रात है, क्या हसीं बात है
हमको तुम याद हो, तुम भी तो चाँद हो
आज है बात ये, जो खिली रात ये
तुम सनम चाँद थी, तुम सितम चाँद सी
चाँदनी रात है

तुम उधारी की रोशनी से खिलती हो
चाँद, तुम ना जाने तारों से क्यों जलती हो
चौदहवीं की सारी रौनकें चुरा करके फिर तुम
महीने-भर किधर-किधर भटकती हो?

ढल गई रात थी, चल पड़े साथ तुम
आज है कोई ग़ैर थामता हाथ ये
तुम सनम चाँद थी, तुम सितम चाँद सी
आज है बात ये, आज चाँदनी रात है
चाँदनी रात है

तुम सनम चाँद थी, चाँदनी रात थी
फिर सहर हो गई, ढल गया चाँद था
तुम भी तो चल पड़ी, बिन कहे बेवजह
तुम सितम चाँद सी, तुम सनम चाँद थी

तुम तो बूँद भर ही नूर बरसाती हो
फिर भला यूँ क्या ग़ुरूर तुम जताती हो?
महीने-भर में एक झलक ही मिलती हो
तब भी वहाँ भी थोड़ा दूर से सताती हो

ढल गई रात थी, चल पड़े साथ तुम
आज फिर कोई ग़ैर थामता हाथ ये
तुम सनम चाँद थी, तुम सितम चाँद सी
आज है बात ये, आज चाँदनी रात है
चाँदनी रात है



Credits
Writer(s): Amlan Sarkar
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