Behta Chala

सागर किनारे, कश्ती सहारे
ठहरे हुए हैं, ठहरा है पल
चलती हवा है, मचलती लहरें
गेहरा समंदर, डूबे से हम
कहां है हवा वो, छू कर जो तुझ को
बह रही है, आवारों सी
आसमाँ को, जो देखु मैं तो
तू लग रहीं सितारों सी

मैं बहता चला
तेरी ही यादों में बहता चला
मैं कहता चला
तेरी ही बातें मैं कहता चला

एक ज़िक्र तुम्हारा होता रहा
एक आँख मेरी रोटी रही
एक महफ़िल मेरे यारों की
एक चर्चा तुम्हारी होती रही

बिन कुछ कहे
सब कुछ कहे
तू है मेरी क़िताबों सी

आसमाँ को, जो देखु मैं तो
तू लग रहीं सितारों सी

मैं बहता चला
तेरी ही यादों में बहता चला
मैं कहता चला
तेरी ही बातें मैं कहता चला



Credits
Writer(s): Gaurav Agrawal
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