Zindagi Ka Fasana - Unplugged Version

ज़िंदगी का यही है फ़साना
प्यार का तो है दुश्मन ज़माना
ज़िंदगी का यही है फ़साना
प्यार का तो है दुश्मन ज़माना

सूने दिल में अभी लहरें उठने लगी
ज़ख़्म ख़्वाबों के तुम अब तो भरने लगी

बिन तेरे कुछ भी दिल ये माने ना
साल गुज़रे ना गुज़रे महीना
ज़िंदगी का यही है फ़साना
प्यार का तो है दुश्मन ज़माना

तेरे ही ख़ातिर इश्क़ हमारा ये
हुआ है आज बर्बाद
दुनिया में कोई कर ना सकेगा
प्यार में ख़ुदको आबाद

जिन राह पे हम चल ही रहे थे
रास्ता वो ख़तम
राही अकेला मैं गुज़र चुका दिन ये
होने लगी अब तो शाम

बंद आँखें मेरी, वो खुलती पलक
ना ज़मीं थी मेरी, ना थी मेरी फ़लक

तेरी राहें देखूँ मैं कभी ना
साल गुज़रे ना गुज़रे महीना

ज़िंदगी का यही है फ़साना
प्यार का तो है दुश्मन ज़माना

सूने दिल में अभी लहरें उठने लगी
ज़ख़्म ख़्वाबों के तुम अब तो भरने लगी

बिन तेरे कुछ भी दिल ये माने ना
साल गुज़रे ना गुज़रे महीना



Credits
Writer(s): Guman Charan Jena
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