Ishk Par Zor Nahi

चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?

चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?
होता यही है हर दफ़ा, चाहें जिसे वही ख़फ़ा
कैसा अजब है फ़लसफ़ा क़िस्सा हमारा?

माहिया, माहिया
माहिया, माहिया

चुपके से, चोरी से, धागे से, डोरी से
कैसे तो बाँधी है तूने ये नज़र?
क्या जालसाज़ी है? दिल हुआ राज़ी है
दिल के अलावा है सबको ख़बर

अपने ही घर का पता दे
हमको भी कोई बता दे
आख़िर है बात क्या?

चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?

सीने में रह के भी ये धोखा देता है
दिल से बड़ा कोई बेईमाँ नहीं
तुमसे मिलाया था, मेहमाँ बनाया था
अब बोले मालिक है, मेहमाँ नहीं

सोए अरमान जगें क्यूँ?
अपना ही दिल ठगें क्यूँ?
हर पल सितम नया

चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?
चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?

चले ना ज़ोर इश्क़ पे, थोड़ा सा और इश्क़ पे
करेंगे ग़ौर इश्क़ पे, ये दर्द है या है दवा?
होता यही है हर दफ़ा, चाहें जिसे वही ख़फ़ा
कैसा अजब है फ़लसफ़ा क़िस्सा हमारा

माहिया, माहिया
माहिया, माहिया



Credits
Writer(s): Mohammed Moinuddin
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