Main Agar Kahoon

तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ?
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ?

किसी ज़बाँ में भी वो लफ़्ज़ ही नहीं
कि जिनमें तुम हो क्या, तुम्हें बता सकूँ

मैं अगर कहूँ, "तुम सा हसीं
कायनात में नहीं है कहीं"
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ

शोख़ियों में डूबी ये अदाएँ चेहरे से झलकी हुई हैं
ज़ुल्फ़ की घनी-घनी घटाएँ शान से ढलकी हुई हैं
लहराता आँचल, है जैसे बादल
बाँहों में भरी है जैसे चाँदनी, रूप की चाँदनी

मैं अगर कहूँ, "हमसफ़र मेरी
अप्सरा हो तुम या कोई परी"
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं



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