Tha Wo Samay

श्याम है गुज़रती नहीं
और उम्र है के रुक सी गयी
जब जब दिन खुला
बचपन छिपता रहा

चलता रहा
बढ़ता रहा
था वो समय
रुकता कहाँ
अब क्या ही करें

अंजानो की भीड़ में
कुछ अपने उधार मांगे
यादों की सलाह मांगी
मिली बातें अनजानी

चलता रहा
बढ़ता रहा
था वो समय
रुकता कहाँ
अब क्या ही करें

पलकों के पीछे है क्या
ज़माने से पूछ बता
खुद से यह कहता रहा
खुद से ही लड़ता रहा



Credits
Writer(s): Abhishek Joshi
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