Chakravyuh (feat. Gauri Naik Matondkar) [with Yogesh Naik & Raju Naik]

मुदत्तो के बाद आज रास्ते मै चुन रहा था
युद्ध की पुकार शंखनाद से में सुन रहा था
कोरवो की भीड़ देख चरक्रव्यू मैं बुन रहा था
करने रक्तपात को लहू मेरा उफन रहा था

भागवत ये सार करता
युद्ध ही है तेरा कर्ता
जो है करता वो है भरता
जो है जीता वो है मरता
कल का मरता आज मरता
भागवत ये सार करता
युद्ध ही है तेरा कर्ता

हानि देखी धर्म की तो अस्त्र वो उठाते है
जो सारथी बने है रथ के राह वो दिखाते है
है पार्थ ना रुखो करम से कृष्ण ये बताते है
जो सारथी बने है रथ के राह वो दिखाते है

ये क्या है तेरा, क्या है मेरा
आत्मा का ना है डेरा
पल में मरण, पल में तरण
जगमगाती उस की शरण

पापियों के नाश करके तेज़ सा प्रकाश भरके
जितनी तेरी शक्तियां है सबको एक साथ करके
जश्न जो मनाये शत्रु उनकी काली रात करके
मोह सारे त्याग करके मन से शिव को याद करके
हो शुरू ये हक की फिर से शंखनाद करके

सुन के कृष्ण वाणी धनुर्धारी ने थी थानी
देखे लाभ देखे हानि देखे वैद देखे ज्ञानी
बात कृष्ण की जो मानी क्या है लाभ क्या है हानी
कौरवों के वंश नाश की थी लिख चुकी कहानी

फिर जो रण में वीर थे वो सब जमीं पे गिर पड़े
वो हस्तियों से हक की जंग जाके पार्थ खुद लड़े
ना टूटे बांध सब्र का जो बादलों से घिर पड़े
ना भय को रख तू मन में अपने पीछे कृष्ण खुद खड़े

अंग भंग है मृदंग, ढोल ताशे बाजे संग
आसमां के बदले रंग तेरे अपने जितने संग
सबके अपने दोहरे रंग सबके अपने अपने ढंग
हो शुरू ये हक की जंग करके चक्रव्यू को भंग



Credits
Writer(s): Durgesh Patidar
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