Tarasti Hai Nigahen

ऐसा नहीं कहीं कोई, है ग़लतफ़हमी जो बनी है
ख़ोया नहीं अपनापन, एहसास की राह चुनी है

ऐसा नहीं कहीं कोई, है ग़लतफ़हमी जो बनी है
ख़ोया नहीं अपनापन, एहसास की राह चुनी है

तरस्ती हैं निगाहें मेरी, तकती हैं राहें तेरी
चाहिए पनाहें तेरी
ये कैसे मैं बताऊँ तुझे, सोती रहीं आँखें मेरी
कटती नहीं रात मेरी

ऐसा नहीं कहीं कोई, है ग़लतफ़हमी जो बनी है
ख़ोया नहीं अपनापन, एहसास की राह चुनी है

ढल नहीं जाते, अभी नहीं जाते
डूबती हैं साँसें, दिल ऐसे भर जाते
जाते हुए लम्हों को पास बुलाता है
थोड़ी सी भी दूरी दिल सह नहीं पाता है

तरस्ती हैं निगाहें मेरी, तकती हैं राहें तेरी
चाहिए पनाहें तेरी
ये कैसे मैं बताऊँ तुझे, सोती रहीं आँखें मेरी
कटती नहीं रात मेरी

सच है या ग़लतफ़हमी, पर ख़्वाब नहीं जुड़ पाते
दुख देते हैं, जाँ लेते हैं, तरस ज़रा नहीं खाते
ऐसा नहीं कहीं कोई, है ग़लतफ़हमी जो बनी है
ख़ोया नहीं अपनापन, एहसास की राह चुनी है



Credits
Writer(s): Asim Azhar, Tarun Kushal
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