Khayalon Me (Ghazal)

तुमको ही बस चाहा
मैंने अपने ख़्यालों में
तुमको ही बस चाहा
मैंने अपने ख़्यालों में
ख़्वाबों की रंगीनियों से
रंगमहल सजाया
तुमको ही बस चाहा

सितारों को मैंने छुआ
और चाँद की सैर की
बर्फीले पर्वत के ऊँचे
चमकते बुलंदी में भी
नीले आसमाँ पे तैरते
अपने नज़दीक पाना
तुमको ही बस चाहा

सावन में घटा लहराई
तो दामिनी ने डराया
आग भड़काई सीने में
बारिश ने जो भीगाया है
इस आग को बुझाते हुए
अपने साथ भीगाना
तुमको ही बस चाहा
मैंने अपने ख़्यालों में
ख़्वाबों की रंगीनियों से
रंगमहल सजाया
तुमको ही बस चाहा



Credits
Writer(s): Upendra Pandey
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