Kyun Ho Jaate Ho Door

खामोश बैठे थे तुम
सूरज की परछाई में समा गए
आईने ढूँढे बहुत
मेरी आँखों के परदों पे फिर भी
तुम ना दिखाई दिए

लहरों की तरह तुम
पास आते हो, फ़िर हो जाते हो दूर
लहरों की तरह तुम
पास आते हो, फ़िर हो जाते हो दूर

क्यूँ हो जाते हो दूर?

ख़यालों के महलों की ये दीवारें
तुमने खड़ी यूँ करी
आना कोई भी चाहे, ऊँची हो जाती
चाह के भी मैं ना आ सकी

लहरों की तरह हो तुम
तूफ़ानों के शोर में हो जाते हो गुम
लहरों की तरह तुम
पास आते हो फ़िर जाने के लिए दूर

क्यूँ हो जाते हो दूर?



Credits
Writer(s): Hanita Bhambri
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