Sunn (Raw)

ये शाम ढलने को है, सुन, रुक जा
कल सुबह चढ़ते देखेंगे, सुन ना, रुक जा

पूरी रात है इधर, मैं और तू हमसफ़र
घूमेंगे इधर से उधर
फ़िर उन ख़ाली सड़कों पे नाचेंगे बे-धड़क
झूमेंगे हम बे-फ़िकर

फ़िर थक कर, बिख़र कर, गिरेंगे बिस्तर पर
एक तू हो, एक मैं हूँ, बाक़ी तनहा हो ये घर

तेरी-मेरी बातें हो, अपनी सारी यादें हो
कैसे हम मिले थे उधर
हाँ, बस एक ही चादर है, आधी-आधी बाँट लें
अब ना मुझसे ऐसे झगड़

अब तू ही बता दे, क्या हैं इरादे तेरे?
इशारे ये सारे, हैं मेरी समझ से परे
अब तू ही बता दे, क्या हैं इरादे तेरे?
इशारे ये सारे, हैं मेरी समझ से परे

खोई सहर जो, अब आने लगी है
सवालों की ख़्वाहिश कुछ ऐसे जगी है

"पूरी रात जागी हूँ, तेरे साथ जागी हूँ"
तू कहे इस-क़दर
"मुझे सोने अब दो, परदे गिरा दो"
तू कहे इस-क़दर

सुन, सुन ना, क्या रहेगी उम्र-भर?
सुन, रुक जा, रह ले ना उम्र-भर



Credits
Writer(s): Arsh Akhtar
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