Intezaar

नींद में खोई
आँखे ये रोई
करती तुझे
ये याद है

आजा कहीं से
नज़रें ये मेरी
करती ये
फरियाद हैं

शहरों की राहें
तारों की बाहें
करती मुझे
बदनाम है

चाहा है तुझको
इबादत है मेरी
करता तेरा
इंतेज़ार है

न चाहा
ज़रा भी
तूने न
मुझको
होता रहा
बर्बाद मैं
कहा था तुझसे
चाहूंगा तुझको
खुद से भी
ज़्यादा
खुद से भी
ज़्यादा
संगीत
आओगे न तुम
माना है मैंने
करना न चाहूँ
इंतेज़ार मैं
रोका है खुद को
हद से भी ज़्यादा
अब न करूँगा
इंतेज़ार मैं
बैठा यहां पे
कब से न जाने
करना न चाहूँ
इंतेज़ार मैं
संगीत
तेरा इंतेज़ार है
तेरा इंतेज़ार है
हम्म हम्म हम्म
तेरा
इंतेज़ार है



Credits
Writer(s): Rushali Riah, Samrat Awasthi
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