Zara Zara

तड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें
एक बार ऐ दीवानी, झूठा ही सही, प्यार तो कर
मैं भूला नहीं हसीं मुलाक़ातें
बेचैन करके मुझ को, मुझ से यूँ ना फेर नज़र

रूठेगा ना मुझ से, मेरे साथिया, ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है जीना मेरा, मेरे दिलबर

ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में
ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में

यूँ ही गरज-गरज काली घटा बरसे
हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में
तेरी खुली-खुली लटों को सुलझाऊँ
मैं अपनी उँगलियों से, मैं तो हूँ इस ख्वाहिश में

सर्दी की रातों में हम सोए रहें एक चादर में
हम दोनों तनहा हों, ना कोई भी रहे इस घर में

ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में
ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में



Credits
Writer(s): Sameer, Harris Jayaraj, Da Banotra
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