Radha E Lili Pili Sadi

ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ।
ज़री की पगड़ी बाँधे...
कानों में कुण्डल साजे, सिर मोर मुकुट विराजे
सखियाँ पगली होती, जब – जब होठों पे बंशी बाजे ।
हैं चंदा यह सांवरा, तारे हैं ग्वाल बाला
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥
लट घुँघरे बाल, तेरे कारे कारे बाल
सुन्दर श्याम सलोना तेरी टेडी मेडी चाल ।
हवा में सर – सर करता तेरा पीताम्बर मतवाला
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥
मुख पे माखन मलता, तू बल घुटने के चलता
देख यशोदा भाग्य को देवों का मन जलता ।
माथे पे तिलक सोहे आँखों में काज़ल डारा
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥
तू जब बंशी बजाए तब मोर भी नाच दिखाए
यमुना में लहरें उठती और कोयल भी कू – कू गाए ।
हाथ में कँगन पहने और गल वैजयंती माला
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे प्यारा ॥



Credits
Writer(s): Traditional
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