Man Rama Ram Me Aise - Hindi Bhajan

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे

किसी मंदिर के दीपक में...
हो, किसी मंदिर के दीपक में जगती है ज्योति जैसे

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे
(मन रमा राम में ऐसे)
(हो, सीप में मोती जैसे)

राम नाम बिन कुछ ना बोले साँसों का इकतारा
हुई आत्मा पावन पीकर राम-भजन रस-धारा
मिले राम तो हो गया मीठा जल नैनों का खारा
किया राम के श्री चरणों में अर्पण जीवन सारा

राम के जैसा मीत मिलेगा मुझे जगत में कैसे?

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे
(मन रमा राम में ऐसे)
(हो, सीप में मोती जैसे)

जिस दिन से पलकों में पिरो ली सूरत रघुनंदन की
आए सुगंध मेरी वाणी से इत्र और चंदन की
सुन ली विनती रघुराई ने भक्ति और वंदन की
आस हुई है पूरी मेरी, आरती अभिनंदन की

जैसे हुई शबरी पे, मुझपे कृपा हुई है वैसे

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे
(मन रमा राम में ऐसे)
(हो, सीप में मोती जैसे)

धूल हृदय के दर्पण पे तृष्णा की ना आने दूँगा
राम को अपने अंतर के अंदर से ना जाने दूँगा
माया के आगे मन को माथा ना टिकाने दूँगा
विषय-विकारों को ना इसपे हाथ लगाने दूँगा

राम-चदरिया राम को सौपूँगा जैसे के तैसे

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे
(मन रमा राम में ऐसे)
(हो, सीप में मोती जैसे)

किसी मंदिर के दीपक में...
हो, किसी मंदिर के दीपक में जगती है ज्योति जैसे

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे
(मन रमा राम में ऐसे)
(हो, सीप में मोती जैसे)

मन रमा राम में ऐसे
हो, सीप में मोती जैसे



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