Dil Ke Sheeshe Mein

दिल के शीशे में तेरी तसवीर है
जब ज़रा गर्दन झुकाई, देख ली
तेरे जैसा और कोई भी नहीं
हमने ये सारी ख़ुदाई देख ली

क़ैद ही अच्छी है बन्धन ही भला
अब तो लगता है समर्पण ही भला
देख ली जब से रिहाई देख ली
हमने ये सारी ख़ुदाई देख ली

बिन तेरे संसार सब नक़ली लगे
एक तेरा प्यार ही असली लगे
प्रीत हर अपनी पराई देख ली
हमने ये सारी ख़ुदाई देख ली

अनगिनत हैं तूने दी जो नेमतें
कौन गिन सकता है तेरी रहमतें
हर इकाई हर दहाई देख ली
हमने ये सारी ख़ुदाई देख ली

हर घड़ी रूबरू दिखे है मुझे
बन्द आँखों से तू दिखे है मुझे
जलवागर तू है जहाँ, अपनी जन्नत है वहाँ
और क्या चाहिए फिर, दीद का जब हो समाँ
तेरे जैसा और कोई भी नहीं
हम ने ये सारी ख़ुदाई देख ली



Credits
Writer(s): Pradeep Sahil
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