Dil Kisi Se

क्या गुज़री है दिल पे मेरे, तुझे क्या पता
तुझे चाहने की हम को मिली यूँ सज़ा
फिर जुड़ ना पाएगा दिल अब ये मेरा
इतने टुकड़ों में टूटा

ना मिले तू ऐसी कोई भी जगह है ही नहीं
दिल किसी से क्या लगाएँ, दूसरा है ही नहीं
चाँद लेके चल रहे हैं, हम सजाएँ तो कहाँ?
जब नसीबों में हमारे आसमाँ है ही नहीं
दिल किसी से क्या लगाएँ, अब तो दिल है ही नहीं

तुझे ढूँढती हैं सारी शामें आज भी हमारी
फिर भी तेरी इंतज़ारी ख़तम ना हुई
राहें देखता रहा मैं, यही सोचता रहा मैं
होगी आरज़ू ये पूरी कभी ना कभी

ऐसा नहीं है कि कोई मिला नहीं
जिसमें तू ना हो, ऐसा एक भी था नहीं
क्या ऐसा माँगा था जो पा ही ना सका?
दिल से तुझ को चाहा था

जिसको तू ले गया वो दिल था मेरा
अब किसे मैं चाहूँगा?

ना मिले तू ऐसी कोई भी जगह है ही नहीं
दिल किसी से क्या लगाएँ, दूसरा है ही नहीं
मेरी आँखों में तुम्हारा ही तसव्वुर रह गया
जिसमें आऊँ मैं नज़र वो आईना है ही नहीं

दिल किसी से क्या लगाएँ, दूसरा है ही नहीं
दिल किसी से क्या लगाएँ, अब तो दिल है ही नहीं



Credits
Writer(s): Kunaal Vermaa
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