Khushi Jab bhi Teri

सारी गलियाँ तेरी जगमगा दूँगा मैं
हर सुबह तेरी ख़ुद को बना दूँगा मैं

सारी गलियाँ तेरी जगमगा दूँगा मैं
हर सुबह तेरी ख़ुद को बना दूँगा मैं
तू चलेगी जो घर से निकल के कहीं
तो रस्ते में ख़ुद को बिछा दूँगा मैं

ख़ुदा जाने, मुझमें तू क्या देखती है
मैं तुझमें ख़ुदा का करम देखता हूँ
ख़ुशी जब भी तेरी...

ओ, ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ
तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ
ख़ुशी जब भी तेरी मैं कम देखता हूँ
तो फिर मैं कहाँ अपने ग़म देखता हूँ

कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फिर
हो, कई रोज़ तक पानी पीता नहीं फिर
मैं जब तेरी आँखों को नम देखता हूँ
ख़ुशी जब भी तेरी...

हो, तू देखे, ना देखे, हमें ग़म नहीं
मगर तुझको देखे बिना हम नहीं

तू देखे, ना देखे, हमें ग़म नहीं
मगर तुझको देखे बिना हम नहीं
ख़यालों में हर पल ही रहता है तू
ये रहने को ज़िंदा हमें कम नहीं

तेरे साथ के एक लम्हे में भी
मैं तेरे साथ के १०० जनम देखता हूँ
ख़ुशी जब भी...



Credits
Writer(s): Roshan Gupta
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