Manzil

आ...
पा धा,
पा धा,
पा धा,
पा गा, रे मा.
पा मा गा, मा गा रे सा,
पा मा गा, मा गा रे सा नी

खुशियों के कलियों में
खिलता था मै।
ग़म के इन तूफानों में
जीता हूँ मै।
खो कर तुम्हे इन
गहराइयों में,
घर चल दिए धीमे
धीमे कदम लिए।
मौसम हुआ फिर बेदिल,
चीखा ये मन।
आंधी थी बढ़ती रहती,
सेहमा मै, पर,

मंज़िल
हो तुम मेरे।
तुम तक आना
है मुझको।
वादा
था ये मेरा
तुमसे ही।

नी नी सा सा, सा सा, नी नी सा।
रे
नी, सा
रे मा, नी पा
रे मा पा नी धा पा, धा मा पा नी सा।

मैने कभी
सोचा नहीं
कैसी है लगती जुदाई।
वक़्त में जमे हुए
लफ्ज़ वो धीरे धीरे मिट रहे।

हर सवेरा
लगता जैसे
बीती हुई रात बाकी है।
रहते हो
मेरे ख्यालों में,
ख़्वाबों में
हर दम।

रंग बदलते रहे,
बादल गरजते रहे,
पर तुम करती उस किनारे पर
इंतज़ार।

मंज़िल
हो तुम मेरे।
तुम तक आना
है मुझको।
वादा
था ये मेरा
तुमसे ही।

जा, जा रे,
अपने मंदिरवा,
सुन पावे

पा मा गा, मा गा रे सा
पा मा गा, मा गा रे सा नी
नी सा,
पा नी सा,
मा पा नी सा,
गा मा पा नी सा।
(पा मा गा, मा गा रे सा,
पा मा गा, मा गा रे सा नी)
रे, गा रे, गा रे, गा रे नी पा,
नी सा।
रे, मा रे, मा रे, मा रे,
मा पा



Credits
Writer(s): Srujan Sahu
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