Saath Rehna Tu

रात का वो समय, पानी ठंडा थरथराया
सामने तू, बात करने की ढूँढूँ मैं वजह
ख़ुद से करूँ मैं बातें, मन भी मुझको सताए
खो गया हूँ, मैं खो गया हूँ सोच में ही तेरे

बारिशें, ये बूँदें मुझसे कह रही
ख़ुद को ना सज़ा दे, उन रातों को भुला दे
बारिशें, ये बूँदें मुझसे कह रही
ख़ुद से क्यूँ डरे तू? ख़ुद से...

आख़िर फिर बूँदें गिरती अकेली, साँसें थमती अकेली
ज़िंदगी के सफ़र में जो है साथ रहना तू
चाहे साथ रहें ना, चाहे साथ मरें ना
ज़िंदगी के सफ़र में फिर भी साथ रहना तू

रात हुई ख़तम, देखो, निकला है सवेरा
सामने अब दिख रहा है मुझको नया दिन
ख़ुद से करूँ मैं बातें, मन भी मुझको बताए
खो ना जाऊँ, मैं खो ना जाऊँ सोच में ही तेरे

बारिशें, ये बूँदें मुझसे कह रही
ख़ुद को ना सज़ा दे, उन रातों को भुला दे
बारिशें, ये बूँदें मुझसे कह रही
ख़ुद से क्यूँ डरे तू? ख़ुद से...

आख़िर फिर बूँदें गिरती अकेली, साँसें थमती अकेली
ज़िंदगी के सफ़र में जो है साथ रहना तू
चाहे साथ रहें ना, चाहे साथ मरें ना
ज़िंदगी के सफ़र में फिर भी साथ रहना तू

बूँदें गिरती अकेली, साँसें थमती अकेली
ज़िंदगी के सफ़र में जो है साथ रहना तू
चाहे साथ रहें ना, चाहे साथ मरें ना
ज़िंदगी के सफ़र में फिर भी साथ रहना तू



Credits
Writer(s): Parth Srivastava
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