Dhund

तेरी इस दुनिआ को मैं
कर चला अलविदा
उस जहाँ में
ना कोई हो जहाँ
जिसे अपना कह सकूं
या कहूंगा

लम्हें हैं बस
यादों में
कुछ नम कुछ कम
हैं ये गम
चल पड़ा हूँ मैं
न कोई हो जहाँ
किसे अपना मैं कहूँ
किसे ना

तेरी ही बातें हैं तेरा ज़िकर
अब दवाओं का ना कोई असर
जिस जगह से मैं हूँ रहा गुज़र
ना ठिकाना कोई ना है फ़िक्र

ढलती धुंद मुस्कुराते हुए
पूछे क्यों है भटकता यहाँ
क्या दूं मैं तुझको यादों से
मिटा या ना ये बता

उस जहान में ना कोई हो जहाँ
जिसे अपना कह सकूं, है कोई ना

कैसी ये रातें हैं मेरी
क्या यहीं तक थी मेहेरबान

ना है रास्ता
रहूँ मैं यहाँ
कभी ना कभी. सही
कहूँ क्या पता
रहूँ मैं कहाँ
कहीं ना कहीं सही
ना है रास्ता

शायद तुमको मैं
मिल जाऊं यहीं
मैं कल रहूँ या नहीं



Credits
Writer(s): Abhishek Chaudhary
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