Kaise Hua

मैं बारिश की बोली समझता नहीं था
हवाओं से मैं यूँ उलझता नहीं था
है सीने में दिल भी, कहाँ थी मुझे ये ख़बर

कहीं पे हो रातें, कहीं पे सवेरे
आवारगी ही रही साथ मेरे
"ठहर जा, ठहर जा," ये कहती मेरी नज़र
क्या हाल हो गया है ये मेरा?

आँखें मेरी हर जगह ढूँढें तुझे बेवजह
ये मैं हूँ या कोई और है मेरी तरह?

कैसे हुआ? कैसे हुआ?
तू इतना ज़रूरी कैसे हुआ?
कैसे हुआ? कैसे हुआ?

तू इतना ज़रूरी...



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir Shukla, Vishal Mishra
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