Kaise Nikili Chandney

यौवन में पदार्पण कर महारास
कृष्ण की एक अलौकिक लीला है
गोपियाँ राधा-कृष्ण के संग रास करती हैं
एक ही कृष्ण सब गोपियों के संग हैं

राधा और कृष्ण, कृष्ण और राधा
सभी कृष्णमय हैं
उन्हीं के रंग में रंगी नृत्य में मगन हैं
कृष्ण एक हैं परंतु प्रतिअंतर में उसका घर है

कैसे निकसी चाँदनी
कैसे निकसी चाँदनी

शरद रात मदमात विकल भई
शरद रात मदमात विकल भई
पियू-पियू टेरत भामिनी

कैसे निकसी चाँदनी
कैसे निकसी चाँदनी

छिन आँगन छिन जात भँवर में
छिन बैठत छिन बाहरीऊ टेरत
कल ना पड़त तड़पत विरहाकुल
कल ना पड़त तड़पत विरहाकुल

चमकत जो दुख दामिनी
चमकत जो दुख दामिनी

कैसे निकसी चाँदनी
कैसे निकसी चाँदनी

शरद रात मदमात विकल भई
शरद रात मदमात विकल भई
पियू-पियू टेरत भामिनी

कैसे निकसी चाँदनी
कैसे निकसी चाँदनी



Credits
Writer(s): Traditional
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