Sahi - Intrumental

पा लीं मैंने है चाहत कई
न जाने कितनी सलामत रही
मोड़ आये जमाने नए
लोग आये पुराने गए

मगर कुछ तो है जो बदला नहीं
समझाया बहुत पर समझा नहीं
ज़माने के कायदों से अलग
ये दिल की कश्ती चलती रही
सही

हो जीवन का यूँ फ़लसफ़ा
माने जो वो हो ख़ुशनसीब, कहीं भी
वक्त जैसा भी हो रूबरू आज है कल नहीं
आँखों मे हो सफर हसीं

हसीं
हसीं
हसीं
सही

हिलते इरादे
ढलते यक़ीन
मीलों तक मंज़िल
जब दिखती नहीं
रेत के घरौंदो
सा लगे हौंसला
पर कल किसने देखा
तो क्यूँ ही हो फिर ख़ला

सही है ना
सही है ना

कुछ तो हो ऐसा
जो लगे सही
कुछ तो हो ऐसा
जो लगे सही

कुछ होगा ऐसा
जो लगे सही

कुछ होगा ऐसा
जो लगे सही
जो लगे सही



Credits
Writer(s): Nishant Mittal
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