Mushkil Hai

शिरकत हमारी ख़तम आरज़ू पे
तेरी थी जो मेरी भी हो गई
बदलेंगे हम और ये दिल जो तेरा था
यादें तेरी फ़िर भी होंगी कहीं

अब हैं जुदा क़ुर्बत नहीं
सोहबत के बिन तेरे क्या है सही?
गुज़रे हैं बस बिन चाह के
पल जो तेरे थे हुए अब नहीं

है इस-क़दर अर्ज़ यहाँ
बेरंग ज़मीं, बेरंग फ़िज़ा
ख़ुश है ना तू, हम भी सही
फ़र्क है वो था जो नहीं

फ़िर भी ना उभरे हैं तुमसे पूरे अभी, ई

मुश्किल है (आदत में भी तुम)
है (तब तुम भी ना हम)

ठहरी फ़िज़ा ये ढूँढे तुझे है
तेरी हँसी को ये दिल मेरा
हाथ वो छूटे, एहसास वहीं है
अभी भी लगे है तू है यहाँ

किससे कहे दर्द मेरा?
मर्ज़ तो तू ही थी, तू है कहाँ?
कैसे रिहा तुम हो गई?
कह तो दिया था पर थे हम नहीं

क़ुल्फ़त में अब मेरा जहाँ
दिल ये कहे, "तू है कहाँ?"
चाहूँ, हाँ, मैं मुड़ के कभी
देखे मुझे तू ना कभी

ख़ुश ही रहे तू और शायद हम भी कभी, ई

मुश्किल है (आदत में भी तुम)
है (तब तुम भी ना हम)



Credits
Writer(s): Kumar Aryan
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