Andhera (Waqt Ki Baatein)

वक़्त की ये बातें, बेवक्त सी ये रातें
खो गया, खो गया, खो गया
जो मैं था ना रहा खो गया
सख़्त सी ये आहें, बदबख़्त सी ये साँसे
हो गया, हो गया, हो गया
मैंने जो ना चाहा था वो हो गया

कैसा ये समय है मैंने चाहा के थोड़ा ये थम सा ले
एक शाम ऐसी हो चाय पे हम बातें करे
थोड़ा जल्दी में था समय वो बोला लौट के मैं आऊँगा
मुंतज़िर उसी के है वो आया ना फिर हम क्या करें

अंधेरो में सुकून अब, मिला है अक्स रातों में
गिर गया, गिर गया, गिर गया
उजालों का वजूद अब है गिर गया
सुना है शोर मैंने, गहरे सन्नाटों में
फिर गया, फिर गया, फिर गया
दिल उसी रास्तों में फिर गया

खो मैं गया हूँ, समय के दिलासों में
खो मैं गया हूँ, लिहाज़ के पर्दों में
खो मैं गया हूँ, अंधेरे के नूर में
खो मैं गया हूँ, ढूँढना ना मुझको तुम

वक़्त की ये बातें, बेवक्त सी ये रातें
खो गया, खो गया, खो गया
जो मैं था ना रहा खो गया
सख़्त सी ये आहें, बदबख़्त सी ये साँसे
हो गया, हो गया, हो गया
मैंने जो ना चाहा था वो हो गया



Credits
Writer(s): Vedant Kochar
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