Aankhein Band Karke

तेरे वास्ते ही जिए, सुबह-शाम सजदे किए
मैं कैसे बताऊँ तुझे तू सब कुछ है मेरे लिए?
तू अगर संग है तो लगे सब सही
तेरी मर्ज़ी मुझे ले चल दूर दुनिया से कहीं

आँखें बंद कर के साथ तेरे मैं कहीं भी चल दूँगा
ग़म जो भी आए उनको ख़ुशी से पलकों में रख लूँगा
हो, आँखें बंद कर के साथ तेरे मैं कहीं भी चल दूँगा
ग़म जो भी आए उनको ख़ुशी से पलकों में रख लूँगा

तू संग नहीं अब जो मेरे तो दुनिया से क्या मुझे वास्ता
तेरे बिना जीना नहीं बस तुझसे ही था मेरा राबता
तू नहीं, तू नहीं तो लग रही मुझे साँसें बेवजह

आँखें बंद कर के साथ तेरे मैं कहीं भी चल दूँगा
तुमने जो देखे उन सपनों में रंग मैं भर दूँगा



Credits
Writer(s): Shekhar Astitwa, Yakshaj Jagtap
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