Gehraiyaan

कुछ ना कुछ मेरे मन में फँसा है
फँसे हैं उनमें गहराइयाँ, गहराइयाँ
कुछ ना कुछ मेरे मन में फँसा है
फँसे हैं उनमें गहराइयाँ, गहराइयाँ

सवालें इतने क्यूँ हैं? जवाबों से डर सा लगे
ये बातें इतने गहरे कि बोले बिन चैन ना मिले

१०० सवाल है, २०० जवाब है
मैं क्या करूँ?
क्या बोल दूँ? कब चुप रहूँ?
बताओ ना, पहचानूँ ना मैं

कुछ ना कुछ मेरे मन में फँसा है
फँसे हैं उनमें गहराइयाँ, गहराइयाँ

बताओ ना, कहाँ पे ये ग़लती हुई?
समझाओ ना, किसने वो बातें कही?
क्या है ग़लत? क्या है सही?
या फ़िर दोनों में फ़र्क़ नहीं?

क्यूँ मान लूँ? क्यूँ चुप रहूँ?
अपनी मनमानी क्यूँ ना करूँ?
बताओ ना, क्यूँ हैं ये गहराइयाँ?
समझाओ ना, बेचैन गहराइयाँ

१०० सवाल है, २०० जवाब है
मैं क्या करूँ?
क्या बोल दूँ? कब चुप रहूँ?
बताओ ना, समझाओ ना कोई

कुछ ना कुछ मेरे मन में फँसा है
फँसे हैं उनमें गहराइयाँ, गहराइयाँ

क्या है? क्यूँ हैं गहराइयाँ?
क्या है? क्यूँ हैं गहराइयाँ?



Credits
Writer(s): Apeksha Pai
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