Chhodkar Shahar Tera Door Chala Jaunga
और मत कर...
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
छोड़ के शहर...
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
पुरखों की जाइदाद शहादत नहीं देती
जो हमको मिली है वो हिरासत नहीं देती
जवाब दे भी सकते हैं तुम्हारी बदतमीज़ी का
तहज़ीब मेरे घर की इजाज़त नहीं देती
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
तू है ज़रदार...
तू है ज़रदार, मैं मज़दूर, चला जाऊँगा
तू है ज़रदार, मैं मज़दूर, चला जाऊँगा
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
बेचैनी कर गई जो मेरे चैन-ओ-अमन में
वो आग दहकती है इस ठंडी पवन में
अब ताज़गी को ढूँढने जाएँ कहाँ पे हम
शबनम भी शोला बन गई Zakir की चमन में
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
उनको हो जाने दे...
उनको हो जाने दे नासूर, चला जाऊँगा
उनको हो जाने दे नासूर, चला जाऊँगा
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
माना कि मुझे वक़्त ने मजबूर किया है
मंज़िल को रास्ते से बहुत दूर किया है
हर सदमा, हर एक रंज-ओ-अलम तेरा सहेंगे
जिसमें है रज़ा रखी वो मंज़ूर किया है
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
है ख़ुदा को...
है ख़ुदा को यही मंज़ूर, चला जाऊँगा
है ख़ुदा को यही मंज़ूर, चला जाऊँगा
...सें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
चंद साँसें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
ज़ख़्म चाहत के हैं, सी लेने दे
आज शब-भर मुझे पी लेने दे
मैंने माँगी है मौत से मोहलत
बस मुझे चैन से पी लेने दे
चंद साँसें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
मौत आ जाने दे...
मौत आ जाने दे भरपूर, चला जाऊँगा
मौत आ जाने दे भरपूर, चला जाऊँगा
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
भुला के अंजुमन में वो मेरे जज़्बात से खेले हैं
दिखा के ख़्वाब ऊँचे और मेरे हालात से खेले हैं
भरा ना दिल जो उनका खेल में जब मुझसे जीते-जी
गया दुनिया से जब Arshad फिर वफ़ात से खेले हैं
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
Zakir, होते...
Zakir, होते ही सुबह, दूर चला जाऊँगा
Zakir, होते ही सुबह, दूर चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
छोड़ के शहर...
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
छोड़ के शहर...
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
पुरखों की जाइदाद शहादत नहीं देती
जो हमको मिली है वो हिरासत नहीं देती
जवाब दे भी सकते हैं तुम्हारी बदतमीज़ी का
तहज़ीब मेरे घर की इजाज़त नहीं देती
जान-ए-जाँ, तू मेरे और मैं तेरे क़ाबिल ही नहीं
तू है ज़रदार...
तू है ज़रदार, मैं मज़दूर, चला जाऊँगा
तू है ज़रदार, मैं मज़दूर, चला जाऊँगा
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
बेचैनी कर गई जो मेरे चैन-ओ-अमन में
वो आग दहकती है इस ठंडी पवन में
अब ताज़गी को ढूँढने जाएँ कहाँ पे हम
शबनम भी शोला बन गई Zakir की चमन में
ज़ख़्म जो भी तेरी चाहत में मिले हैं मुझको
उनको हो जाने दे...
उनको हो जाने दे नासूर, चला जाऊँगा
उनको हो जाने दे नासूर, चला जाऊँगा
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
माना कि मुझे वक़्त ने मजबूर किया है
मंज़िल को रास्ते से बहुत दूर किया है
हर सदमा, हर एक रंज-ओ-अलम तेरा सहेंगे
जिसमें है रज़ा रखी वो मंज़ूर किया है
टूटता है जो मेरा दिल तो टूट जाने दे
है ख़ुदा को...
है ख़ुदा को यही मंज़ूर, चला जाऊँगा
है ख़ुदा को यही मंज़ूर, चला जाऊँगा
...सें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
चंद साँसें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
ज़ख़्म चाहत के हैं, सी लेने दे
आज शब-भर मुझे पी लेने दे
मैंने माँगी है मौत से मोहलत
बस मुझे चैन से पी लेने दे
चंद साँसें हैं मेरे जीने की, जी लेने दे
मौत आ जाने दे...
मौत आ जाने दे भरपूर, चला जाऊँगा
मौत आ जाने दे भरपूर, चला जाऊँगा
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
भुला के अंजुमन में वो मेरे जज़्बात से खेले हैं
दिखा के ख़्वाब ऊँचे और मेरे हालात से खेले हैं
भरा ना दिल जो उनका खेल में जब मुझसे जीते-जी
गया दुनिया से जब Arshad फिर वफ़ात से खेले हैं
आज की रात तो Arshad को ठहर जाने दे
Zakir, होते...
Zakir, होते ही सुबह, दूर चला जाऊँगा
Zakir, होते ही सुबह, दूर चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
और मत कर मुझे मजबूर, चला जाऊँगा
छोड़ के शहर...
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
छोड़ के शहर तेरा, दूर चला जाऊँगा
Credits
Writer(s): Kishor Malhotra, Parveen Sethi, Zakir Khan Barelvi
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