Coffee Ki Pyaali (Coffee Cup Hindi Version)

ख़ाली-ख़ाली से दिन में
गुज़ारूँ कैसे ये लम्हें यहाँ?
चलते-चलते अकेले
ये राहें करती किसी का इंतज़ार

मोड़ दो थे वहाँ
चल पड़ा हूँ उस दिशा में
जहाँ खोज-बिन तुम मुझे मिली

कैसा है दिन, कैसा मेरा नसीब
ग़लती की राहें ले आए क़रीब
भीड़ में जो तुम मिले

ना मैं जानूँ, ना है तुमको पता
धीमे से दिल क्यूँ है चलने लगा?
साँस भी थोड़ी गुम है
क्या मैं दूरी हटा दूँ
तो कोई बहाने हो बातें शुरू?
आधी coffee की प्याली
और साथ तुम्हारा उम्मीद करूँ

मोड़ दो हैं यहाँ
चल पड़े उस दिशा में जहाँ
कुछ नया, अनकहा मिले

कैसा है दिन, कैसा मेरा नसीब
ग़लती की राहें ले आए क़रीब
भीड़ में जो तुम मिले

ना मैं जानूँ, ना है तुमको पता
धीमे से दिल क्यूँ है चलने लगा?
साँस भी थोड़ी गुम है

"हाँ" कह दो, चलते साथ कहीं
साथ हो तुम तो हो बातें नयी
और दिन मेरा बन गया



Credits
Writer(s): Antonio De Giovanni
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