Kahaan Hoon Main

ना जाने कैसे गिर गयी हूँ मैं यहां.
बातें हैं बाकी, पर मैं हूँ कहाँ?

जैसे परदों में छुपता सूरज,
मुस्कुराहटों में मैं क्यों छुपी?

क्यों इतने सपने छूटे,
अब ये सब हैं मुझसे रूठे, क्यों?

कहाँ हूँ मैं, कहाँ हूँ मैं.
सड़के ये कच्ची खो गयी हूँ मैं.

कहाँ हूँ मैं, कहाँ हूँ मैं.
सड़के ये कच्ची खो गयी हूँ मैं.

हैं इतने नाते जिनमे मैं ही हूँ ख़फा.
रातें हैं खाली पर, दिल ये है भरा.

इन आखों में दिखते आंसू,
सूखे हैं पर फिर भी क्यों जला?

जो बीते सपने हैं
इनको फिर से जीना हैं यहां.

कहाँ हूँ मैं, कहाँ हूँ मैं.
सड़के ये कच्ची खो गयी हूँ मैं.

कहाँ हूँ मैं, कहाँ हूँ मैं.
सड़के ये कच्ची खो गयी हूँ मैं.

इतना खुद से ही क्यों छुपी हूँ मैं.



Credits
Writer(s): Hemang Duggal
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