Chal Chalein Kahin

चल चलें कहीं
शहर छोड़के

बादलों को
कुछ ओढ़के

वक़्त से अभी
को तोड़के

आ चलें कहीं
सपने जोड़के

चलना छोड़ें
सुनना कल की

चलना संग दौड़ें
आज में अपनी

कल कहीं
ये ज़मीं ही
ना रही

तुझे थाम के
मैं बढ़ रहा

रास्तों की है
तेरी मेरी दास्ताँ

तेरी साँसों से
लिपटी मेरी जान

तू है जहाँ
रहना बस वहाँ

तेरे ख्यालों में
मैं अब खुदको डुबा रहा हूँ

ज़रा इधर देख तो
तेरे बिन मैं क्या हो रहा हूँ

तुझे वक़्त चाहिए तू ले वक़्त
मेरी जान मैं तो हमेशा यहीं खड़ा हूँ

डोरियां छोड़ दी हैं तुझपे सारी
मैं खुदको तुझे अब सौंप चुका हूँ

वक़्त भी डराता नहीं अब
तुझपे खुदको हारके
जैसे ज़िन्दगी ही जीत गया हूँ

तुझे प्यार करते करते मैं
खुदसे प्यार करना सीख गया हूँ।



Credits
Writer(s): Pankaj Bhatt
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