Bathuawa Ke Saag

(जरले हरि)
(जरले हरि)

कि माँगस बलमु
कि माँगस बलमु

ननदी निमिकिया माँगे, देवरा माँगे दही जी
बड़की देयादिन खातिर दाल रोजे मही जी (दाल रोजे मही जी)

ए जी (हाँ-हाँ)

ननदी निमिकिया माँगे, देवरा माँगे दही जी
बड़की देयादिन खातिर दाल रोजे मही जी
केहू के ना पेट कबो भरले हरि

कि माँगस बलमु... (हाय)
हो, माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि
माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि

(आगे बातवऽ सखी, खेल सुनावऽ सखी)
(का-का परहेज करेलु, कईसे manage करेलु)

(जरले हरि)
(जरले हरि)

सासु के चाहीं रोजे मकई के लिट्टी हो
ओपर लपेट के ऊ खाली खठ-मिठ्ठी हो (खाली खठ-मिठ्ठी हो)
भसुर माँगे ले रोजे बैगन के भरता
जाने कपार पऽ से कुफुत कब मीटी हो?

भीतर से जीव बा अखड़ले हरि

कि माँगस बलमु... (हाय)
माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि
माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि

(जरले हरि)
(जरले हरि)
(कि माँगस बलमु)
(कि माँगस बलमु)

ससुर के चाहीं रोज सतुवा आ चटनी, हो
दिन चाहे रात पड़े बड़ी हमरा खटनी, हो (बड़ी हमरा खटनी, हो)
रोज ननदोईया विजईया चली आवे ला
माँगे मिठईया हम कई बेरी डटनी हो

हमरो जिनीगिया बाटे तरले हरि

माँगस बलमु... (हाय)
हो, माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि
माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि

ननदी निमिकिया माँगे, देवरा माँगे दही जी
बड़की देयादिन खातिर दाल रोजे मही जी
केहू के ना पेट कबो भरले हरि

कि माँगस बलमु... (हाय)
हो, माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि
माँगस बलमु, बथुअवा के साग रे, कि भाग हमार जरले हरि



Credits
Writer(s): Arya Sharma, Vijay Chauhan
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