Jaana

चल लिए थे कुछ कदम
रस्ते ऊँचे नीचे कहीं गड्ढे थे बड़े
लड़खड़ाए थे कुछ कदम, गिरे यहाँ वहाँ
फिर हँसके बोले, चलो चलें

मैं था एक जहान में
वो दूसरे जहाँ से गिरती सँभलती हुई
मुस्कुरा दी जो मैं लंगड़ाया बीच में कहीं
थामा मुझको, बोली, चलो चलें

चलना तो था मगर, उतनी आसान नहीं थी डगर
वहाँ थे काँटे, वहाँ गुलसिताँ
जहाँ पे सौ तरह के गुल
वैसी ही एक गुल थी, मेरी जाना

फिर अगले मोड़ पे
दो रास्ते मिले, वो यहाँ गयी मैं वहाँ
आगे जाके जब वो रास्ते फिर से मिले
हम फिर से बोले, चलो चलें

राहें बढ़तीं गयीं, मिलके हम भी मीलों चले
रह गए जो राह-ए-मोहब्बत में
पीछे उनको छोड़ के
अब मैं हूँ बस, और मेरी जाना



Credits
Writer(s): Nishant Sharma
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link