Kokh Ke Rath Mein Lofi

कोख के रथ में मुझे रखकर चलती थी
कितना ख़ुश था मैं, माँ
जब भी घबराया, तब तू अपनाया
तेरी चुनरी ही साया था, माँ

मेरे रग-रग में तेरा नाम है, माँ
तू ही मेरे दिल की साँस हो, माँ

सपनों को खोए हैं, अपनों को खोए हैं
इनको इंसाफ़ मिलता नहीं
खून भी बह गया, चैन भी उड़ गया
डर मिटाने वाले कोई नहीं

तुझी को इनके ख़ुदा बन के रहना है
तुझको करता हूँ मैं यक़ीं



Credits
Writer(s): Ananya Bhat
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